After five and a half decades, rule came into the Kalyan family

साढ़े पांच दशक बाद कल्याण परिवार में आया राज, दादा डिप्टी स्पीकर तो पौत्र बने स्पीकर

After five and a half decades, rule came into the Kalyan family

After five and a half decades, rule came into the Kalyan family

After five and a half decades, rule came into the Kalyan family- करनाल ( शैलेन्द्र जैन )I हरियाणा ही नहीं देश में करनाल के कुटेल गांव की राजनीतिक विरासत का डंका आज भी बजता हैं। आज भी कु टैल गांव का डंका साढ़े पांच दशक बाद बजा। इस गांव का कल्याण घराना राजनीतिक घराना रहा हैं। साढ़े पांच दशक पहले हरविंदर कल्याण के दादा चौ मुल्तान सिंह हरियाणा विधानसभा में डिपटी स्पीकर बने थे। उसके बाद इतिहास ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी। इस परिवार के हरविंदर कल्याण को हरियाणा विधानसभा का स्पीकर बनाया। यह संयोग है । कि वह तीसरी बार विधायक बने थे।  इस विरासत के असली सूत्रधार चौधरी मुल्तान सिंह थे। चौधरी मुल्तान सिंह के परिवार अपनी  राजनीतिक रसूख को लेकर  आजादी से पहले से ही देश में अपनी पहचान बना चुका था। करनाल के कुटेल गांव की चर्चा करें तो इस गांव की पहचान चौधरी मुल्तान सिंह रहे हैं। यदि हरविंदर कल्याण की बात की जाए तो उनके पिता देवी सिंह कल्याण भी राजनीति में सक्रिय रहे। परिवार की विरासत को हरविंदर कल्याण ने आगे बढ़ाया।

घरौंडा से लगातार तीन बार जीत की हैट्रिक लगाने वाले विधायक हरविंद्र कल्याण पेशे से इंजीनियर हैं। लगभग पिछले 30 सालों से उनकी राजनीतिक गतिविधियों में पूर्ण सक्रिय भूमिका रही है। अत्यंत सहज स्वभाव रखने वाले हरविंद्र कल्याण हाईटेक तरीके से अपने कामों को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध रखते हैं तथा उन्हें करवाने में जुटे रहते हैं। मिलनसार और व्यवहार कुशलता में हरविंदर कल्याण का कोई सानी नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रथम कार्यकाल के दौरान हरविंद्र कल्याण को 2015 से 2019 तक हैफेड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी। वह 2019 से मार्च 2023 तक विधानसभा में पब्लिक अकाउंट कमेटी (पैक) के अध्यक्ष रहे।

घरौंडा की मूलभूत समस्याओं को समझने के लिए हरविंद्र कल्याण ने 2004 में पदयात्रा करते हुए 375 किलोमीटर का सफर तय किया जिसमें उन्होंने घरौंडा विधानसभा के 104 गांवों के लोगों की समस्याओं को बारीकी से समझा। उसी का परिणाम है कि घरौंडा की जनता ने उन्हें लगातार तीसरी बार विधायक चुना और अपना प्यार और समर्थन दे रही है। उनका इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। अपने गांव में मैडीकल यूनीवर्सिटी, नवीनतम शुगर मिल, एनसीसी कालेज के साथ कालेज और कई बड़ी योजनाएं इस क्षेत्र को दीं। अब उनकी राजनीतिक विरासत को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र कल्याण आगे लेकर चल रहे हैं।

वहीं पर भाजपा में हरविंदर कल्याण चल रहे है। रोड़ विरादरी में राजनीति की पाठशाला इस परिवार को माना जाता हैं। करनाल ही नहीं हरियाणा ही नहीं देश में भी सबसे अधिक जमीन का मालिक रोड़ विरादरी में चौधरी राम लाल परिवार को माना जाता रहा। उनके पुत्र चौधरी मुल्तान सिंह कल्याण ने अपनी राजनीति की शुरूआत आजादी से पहले 1937 में किसानोंं के मसीहा सर छोटू राम की पार्टी नैशनल यूनीनिस्ट पार्टी से शुरू की थी। सर छोटू राम उन्हें उस समय संयुक्त पंजाब में विधानसभा का चुनाव लड़वाना चाहते थे।

उस मय उनकी आयु 25 साल से एक माह कम थी। उसके बाद वह कांग्रेस के साथ जुडे इस परिवार ने प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू लाल बहादुर शात्री श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी श्रीमती सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी के प्रति निष्ठा निभाई हैं। इय क्षेत्र में आज भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए चौधरी मुल्तान सिंह के परिवार को प्रमुख दावेदार मनाना जाता हैं। इस परिवार में राजनीति की शुरूआत चौधरी मुल्तान सिंह ने की थी।चौधरी मुल्तान सिंह ने पहला चुनावा आजाद भारत में 1957 में लड़ा था। उन्होंने घरौंडा विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़ा और वह विधायक बने इस परिवार से वह पहले विधायक बने। उनके संबंध महात्मा गांधी पंडित नेहरू, प्रताप सिंह कैरो, संविधान निर्माता रणबीर सिंह हुड्डा,पूर्व  डिप्टी पी एम देवी लाल, बाबू मूच चंद्र जैन पूर्व  केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह, पूर्व राज्य सरकार में पूर्व मंत्री शमशेर सुर्जेवाला सुर्जेवाला  के साथ नजदीकी  थे।

उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में घरौंडा क्षेत्र का जबरदस्त विकास किया। यहां प विकास की नींव रखी। उसके बाद वह 1962 में हल्का बुटाना और अब के नीलोखेंड़ी से चुनाव लड़े और विधायक बने। सन 1962 में चीन युद्ध के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अपनी बेटी श्रीमती इंदिरा गांधी को कुटेल गांव भेजा था। जहां वह चौधरी मुल्तान सिंह के पास उनके निवास पर आई थी । उस समय उन्होंने एक ट्रक गुड़ सेना के जवानों के लिए भेजा था। इसे श्रीमती इंदिरा गांधी ने हरी झंडी दिखाई । उसके बाद इंदिरा जी उन्हें गुड़ वाले मुल्तान सिंह के नाम से जानने लगीं। भू दान आंदोलन जो आचार्य विनोवा भावे ने शुरू किया।

उस समय चौधरी मुल्तान सिंह ने 70 एकड़ जमीन बाल भवन को दान में  दी थी। वह इस क्षेत्र के पहले भू दानी बने थे। उसके बाद हरियाणा राज्य के निर्माण में चौधरी मुल्तान सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को अपने क्षेत्र में लाने के लिए उनका विशेष योगदान रहार्।  हरियाणा बनने के बाद हरियाणा की पहली विधानसभा में नौल्था से चुनाव लड़ा और विधानसभा में पहुंचे। राव विरेंद्र सिंह को सीएम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  चौधरी मुल्तान सिंह हरियाणा सरकार में डिप्टी स्पीकर तथा राज्य मंत्री बने उनके पास महत्वपूर्ण विभाग रहे। वह तीन मर्तवा विधानसभा में पहुंचे।

उनके परिवार ने पांच बार चुनाव जीते । आज  इस परिवार का राजनीति के साथ इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान हैं। अपने क्षेत्र में रोड़ विरादरी तथा क्षेत्र के लोगों को कांग्रेस से जोडऩे के लिए सक्रिय भूमिका निभाा रहे हैं। यहां के लोग मानते हैं। कि वह ही यहां पर बदलाव ला सकते हैं। करनाल पानीपत क्षेत्र में रोड़ विरादरी काफी अधिक हैं। यहां के लोग राजनीति का असली सूत्रधार मुल्तान सिंह के परिवार को मानते हैं। आने वाली सरकार में इस क्षेत्रा के लोगों की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी होगी। हरियाणा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चौधरी मुल्तान सिंह परिवार की राजनीति में अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है।